'मुन्ना भाई MBBS' की यह अभिनेत्री याद है? 25 साल चॉल में बिताने के बाद बनी OTT स्टार
‘मुन्ना भाई MBBS’ एक सुपरहिट फिल्म थी, जिसमें मुन्ना और सर्किट के किरदार लोगों के दिलों में बस गए। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस फिल्म में एक छोटा सा किरदार निभाने वाली अभिनेत्री आज OTT की मशहूर स्टार बन चुकी हैं?
राजकुमार हिरानी की पहली निर्देशित फिल्म ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ एक सुपरहिट रही, जिसमें संजय दत्त मुख्य भूमिका में थे। उन्होंने मुन्ना का किरदार निभाया, जिसे उसके पिता डॉक्टर बनाना चाहते थे, लेकिन वह एक गुंडा बन जाता है। पिता को खुश करने के लिए वह सालों बाद फर्जी तरीके से मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेता है। इसी कॉलेज में उसकी एक सहपाठी का किरदार अभिनेत्री प्रिया बापट ने निभाया था। प्रिया ने फिल्म के सीक्वल ‘लगे रहो मुन्ना भाई’ में भी अहम भूमिका निभाई। पिछले एक दशक में वह मराठी फिल्मों की सबसे लोकप्रिय अभिनेत्रियों में से एक बन चुकी हैं।
OTT पर बनाई पहचान
साल 2003 में ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ में नजर आने के बाद प्रिया बापट का एक डायलॉग काफी लोकप्रिय हुआ था— “मैं डॉक्टर नहीं, एक दोस्त बनकर उनकी मदद करना चाहती हूं।” इस सीन में बोमन ईरानी उन्हें डांटते हुए भी नजर आए थे। छोटे से रोल के बावजूद प्रिया को कई फिल्मों के ऑफर मिले। अब उन्होंने OTT प्लेटफॉर्म पर भी अपनी खास पहचान बना ली है। हाल ही में, वह सोनी लिव की सीरीज ‘रात जवां है’ में दिखीं। इससे पहले, ‘सिटी ऑफ ड्रीम्स’ वेब सीरीज में उन्होंने बुद्धिमान राजनीतिज्ञ पूर्णिमा गायकवाड़ का दमदार किरदार निभाया, जिससे वह हिंदी दर्शकों के बीच भी मशहूर हो गईं।
ऐसे मिला था फिल्म में काम
प्रिया बापट ने बताया कि जब वह ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ में नजर आई थीं, तब तक उन्हें खुद भी नहीं पता था कि वह हीरोइन बनना चाहती हैं। करियर को लेकर उनकी सोच स्पष्ट नहीं थी। बाद में, जब उन्हें इसका एहसास हुआ, तब तक वह कई फिल्मों और विज्ञापनों में काम कर चुकी थीं।
फिल्म में उनके चयन की प्रक्रिया को याद करते हुए उन्होंने कहा कि यह बेहद सीधा था। निर्देशक राजकुमार हिरानी की कॉल आने के बाद वह ऑडिशन देने गईं और तुरंत ही रोल के लिए चुन ली गईं। बॉलीवुड हंगामा को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “मैं राजकुमार हिरानी के ऑफिस गई, ऑडिशन दिया और मुझे रोल मिल गया। यह इतना आसान था।”
चॉल में बीते 25 साल
प्रिया बापट ने बताया कि उन्होंने अपना अधिकांश बचपन मुंबई की एक चॉल में बिताया। करीब 25 साल तक वह दादर की एक चॉल में रहीं और शादी के बाद वहां से शिफ्ट हुईं। उन्होंने अपने बचपन की यादें साझा करते हुए बताया कि दिवाली मनाने से लेकर दोस्तों के साथ खेल-कूद तक, चॉल की जिंदगी ने उन्हें कई खूबसूरत अनुभव दिए।
प्रिया ने यह भी बताया कि चॉल की सबसे अनोखी बात यह थी कि एक ही मंजिल पर बने सभी घर आपस में दरवाजों से जुड़े हुए थे। इससे एक घर से दूसरे घर में जाने के लिए बाहर निकलने की जरूरत नहीं पड़ती थी। इस व्यवस्था ने पूरे फ्लोर के परिवारों को आपस में गहराई से जोड़कर रखा था।