President of India, उप राष्ट्रपति और लोक सभा अध्यक्ष ने संसद भवन परिसर में भगवान बिरसा मुंडा को पुष्पांजलि अर्पित की
- भगवान बिरसा मुंडा के 150वीं जयंती वर्ष का शुभारंभ आज से
President of India श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज संसद भवन परिसर में स्थित प्रेरणा स्थल पर भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर उनकी 150वीं जयंती और जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर भारत के उप राष्ट्रपति एवं राज्य सभा अध्यक्ष श्री जगदीप धनखड़, लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला तथा अन्य गण्यमान्य व्यक्तियों ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की। भगवान बिरसा मुंडा के 150वीं जयंती वर्ष का शुभारंभ आज से हो रहा है।
श्री ओम बिरला ने X पर संदेश लिखा, “आदिवासी अस्मिता और संस्कृति के गौरव, उलगुलान के प्रणेता, धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा जी की जयंती पर सविनय नमन। भगवान बिरसा मुंडा का 150वां जन्मजयंती वर्ष आज से शुरू हो रहा है। जनजातीय गौरव दिवस के इस उपलक्ष्य पर सभी देशवासियों को शुभकामनाएं। भगवान बिरसा देश, समाज और संस्कृति के लिए अपना सर्वस्व समर्पण कर देने वाले महानायक थे। उनके जीवन आदर्श हमें सदैव प्रेरित करते रहेंगे। #BirsaMunda150 #JanjatiyaGauravDiwas।”
जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को सम्मानित करने के लिए 15 नवम्बर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाता है। जनजातीय समुदायों ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कई क्रांतिकारी आंदोलनों के माध्यम से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यह दिवस जनजातीय समुदायों के इतिहास, संस्कृति और धरोहर को सम्मानित करता है, एवं देशभर में एकता, गर्व और जनजातियों का देश की स्वतंत्रता और प्रगति में योगदान के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
President of India, Smt. Droupadi Murmu; Vice President, Shri Jagdeep Dhankhar and Lok Sabha Speaker, Shri Om Birla paid floral tributes at the statue of Bhagwan Birsa Munda on his 150th birth anniversary at Prerna Sthal in Parliament Premises today.@rashtrapatibhvn@VPIndia… pic.twitter.com/ZnHuOKlWpT
— Lok Sabha Speaker (@loksabhaspeaker) November 15, 2024
भगवान बिरसा मुंडा, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ उलगुलान (क्रांति) का नेतृत्व किया, प्रतिरोध का प्रतीक बन गए। भगवान मुंडा का नेतृत्व राष्ट्रीय जागरण का कारण बना, और उनका योगदान जनजातीय समुदायों द्वारा गहरे सम्मान के साथ याद किया जाता है।
इस अवसर पर, विभिन्न राज्यों से आए जनजातीय लोक कलाकारों ने संसद भवन परिसर के प्रेरणा स्थल पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दीं।