Powder Milk : एक जांच के दौरान फार्मूला मिल्क के सैंपलों में लीड (सीसा) और आर्सेनिक की मौजूदगी का खुलासा हुआ है। कंज्यूमर रिपोर्ट्स की जांच में पाया गया कि परीक्षण किए गए 41 फार्मूला मिल्क सैंपलों में से 34 में लीड पाया गया।
पिछले कुछ वर्षों में नवजात शिशुओं को फार्मूला मिल्क (Powder Milk) पिलाने की प्रवृत्ति बढ़ी है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह बच्चों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है? Powder Milk के सैंपलों में लीड (सीसा) और आर्सेनिक मौजूद हैं, जो शिशुओं के लिए स्वास्थ्य संबंधी जोखिम पैदा कर सकते हैं। इसके अलावा, जांच में लगभग सभी सैंपलों में पॉलीफ्लोरोएल्काइल (PFAS) पाए गए, जबकि कुछ सैंपलों में बिस्फेनॉल ए (BPA) और एक्रिलामाइड भी मिला।
Powder Milk उत्पादक कई कंपनियों ने जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। उनका तर्क है कि लीड और आर्सेनिक जैसी तत्व प्राकृतिक रूप से पर्यावरण में पाए जाते हैं और उनके उत्पाद पूरी तरह सुरक्षित हैं। हालांकि, Powder Milk इन सैंपलों में लीड और आर्सेनिक मौजूद थे, जो स्वास्थ्य के लिए जोखिमपूर्ण हो सकते हैं।
कंपनियों को सलाह दी गई है कि वे इन हानिकारक तत्वों के बिना Powder Milk तैयार करें। खाद्य सुरक्षा और अनुसंधान प्रबंधक, सना मुजाहिद ने माता-पिता को घबराने के बजाय डॉक्टर से परामर्श लेकर फार्मूला बदलने और सुरक्षित विकल्पों पर ध्यान देने की सलाह दी है।
Powder Milk पूरी तरह सुरक्षित नहीं
शिशुओं के लिए Powder Milk में लीड की किसी भी मात्रा को सुरक्षित नहीं माना जाता। लीड बच्चों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और यह कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। Powder Milk, छह महीने तक के शिशुओं के लिए मां का दूध ही सबसे सुरक्षित विकल्प है। Powder Milk, लीड जैसे तत्व पर्यावरण में प्राकृतिक रूप से मौजूद होते हैं और भोजन के संपर्क में आ सकते हैं, लेकिन वह चाहते हैं कि Powder Milk में इनकी मौजूदगी बिल्कुल न हो।
इतने सैंपलों में मिला लीड
Powder Milk, इनमें सबसे ज्यादा लीड का स्तर एनफामिल न्यूट्रामिजेन में पाया गया। हालांकि, किसी भी सैंपल में लीड की मात्रा तय मानकों से अधिक नहीं थी, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी थोड़ी मात्रा भी स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकती है।
दूसरी ओर, Powder Milk बनाने वाली कंपनियों ने सफाई दी है कि उन्होंने अपने उत्पादों में जानबूझकर कोई हानिकारक तत्व नहीं मिलाया है। उनका कहना है कि ये तत्व पर्यावरण में मौजूद होते हैं और वहीं से खाद्य पदार्थों में पहुंच जाते हैं।