Nirjala Ekadashi Puja Niyam: निर्जला एकादशी व्रत इस नियम का पालन करने के बिना अधूरा है; पूजा-विधि और शुभ मुहुर्त

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Nirjala Ekadashi Puja Niyam: निर्जला एकादशी व्रत इस नियम का पालन करने के बिना अधूरा है; पूजा-विधि और शुभ मुहुर्त

Nirjala Ekadashi Puja Niyam: हिंदू धर्म में एकादशी बहुत महत्वपूर्ण है। एकादशी मासिक दो बार पड़ती है। एक पक्ष में कृष्ण पक्ष और दूसरा पक्ष शुक्ल पक्ष है। साल में 24 एकादशी होती हैं।

हिंदू धर्म में एकादशी बहुत महत्वपूर्ण है। एकादशी मासिक दो बार पड़ती है। एक पक्ष में कृष्ण पक्ष और दूसरा पक्ष शुक्ल पक्ष है। साल में 24 एकादशी होती हैं। निर्जला एकादशी शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है। यह एकादशी सभी 24 एकादशी में सबसे श्रेष्ठ है। निर्जला एकादशी का व्रत करने से पूरे वर्ष एकादशी व्रत करने के बराबर लाभ मिलता है। 17 जून, 2024 को निर्जला एकादशी है। धार्मिक मान्यता है कि हर किसी को निर्जला एकादशी का व्रत करना चाहिए। इस व्रत में एक नियम है जिसे मानना बहुत जरूरी है।

इस नियम का पालन करना अनिवार्य है

Nirjala Ekadashi: व्रत में जल देना अनिवार्य है। इस व्रत में व्रती को पानी नहीं पीना चाहिए। व्रती जल को पारण करने के बाद ही पी सकता है।

निर्जला एकादशी की पूजा की प्रथा

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।

घर के मंदिर में दीपक जलाएं।

गंगा जल से भगवान विष्णु का अभिषेक करें।

भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दें।

इस दिन अगर संभव हो तो व्रत भी रखें।

भगवान को पूजें।

भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजें खानी चाहिए। तुलसी को भगवान विष्णु के भोग में अवश्य शामिल करें। माना जाता है कि भगवान विष्णु तुलसी के बिना भोजन नहीं करते हैं।

इस पावन दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु दोनों की पूजा करें।

इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

 

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