शोधकर्ताओं ने एक विशेष Nano-formulations विकसित किया है, जो 17β-एस्ट्राडियोल नामक हार्मोन के निरंतर स्राव में मदद कर सकता है, जो पार्किंसंस रोग (PD) के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
पार्किंसंस रोग (PD) जैसी कई न्यूरोडीजेनेरेटिव और मानसिक विकृतियाँ व्यक्ति के मस्तिष्क में 17β-एस्ट्राडियोल (E2) के असंतुलन के कारण उत्पन्न होती हैं। हालांकि, PD के उपचार में E2 के उपयोग से होने वाले दुष्प्रभाव और आणविक तंत्र की कम समझ इसकी न्यूरोथेरेप्यूटिक क्षमता को प्रभावित करती है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान, नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (INST) मोहाली के वैज्ञानिकों ने 17β-एस्ट्राडियोल-लोडेड चिटोसन नैनोकणों के साथ डोपामाइन रिसेप्टर डी3 (DRD3) का उपयोग किया, जिसके परिणामस्वरूप मस्तिष्क में 17β-एस्ट्राडियोल (E2) का निरंतर स्राव हुआ।
लक्षित Nano-formulations ने कैलपैन के माइटोकॉन्ड्रियल ट्रांसलोकेशन को बाधित किया, जिससे न्यूरॉन्स को रोटेनोन-प्रेरित माइटोकॉन्ड्रियल क्षति से बचाया जा सका। इसके अतिरिक्त, इस लक्षित नैनो डिलीवरी सिस्टम ने रोडेंट मॉडल में व्यवहार संबंधी दोषों को कम किया। अध्ययन में यह भी पहली बार सामने आया कि बीएमआई 1, पीआरसी 1 कॉम्प्लेक्स का एक सदस्य जो माइटोकॉन्ड्रियल होमियोस्टेसिस को नियंत्रित करता है, कैलपैन का एक सब्सट्रेट है। लक्षित नैनो-फॉर्मूलेशन ने कैलपैन के माध्यम से इसके क्षरण को रोककर बीएमआई 1 को पुनर्स्थापित किया।
कार्बोहाइड्रेट पॉलिमर अध्ययन ने पार्किंसंस रोगियों में ऑक्सीडेटिव तनाव को नियंत्रित करने में हार्मोन (E2) की भूमिका को समझने में मदद की है। दीर्घकालिक सुरक्षा और बेहतर-लक्षित वितरण की निरंतर खोज के साथ, यह पार्किंसंस रोगियों के जीवन को सुधारने के लिए एक सुरक्षित उपचार बन सकता है।
प्रक्रिया को दर्शाने वाला ग्राफिकल सार