Navratri 2024 Kalash Sthapna
Navratri 2024 Kalash Sthapna : चैत्र नवरात्रि 2024 कल से शुरू हो रही है। हर घर में मां दुर्गा के आगमन की धूम मची रहेगी. इन 9 दिनों में देवी मां की विधिवत पूजा करने से समृद्धि बढ़ती है।
चैत्र नवरात्रि 2024: नौ दिवसीय नवरात्रि कल से शुरू हो रही है। यह दिन नौ हवाओं और मां के नौ रूपों को समर्पित है। नवरात्रि के दौरान बलि देकर मां दुर्गा के आगमन की तैयारियां की जाती हैं। कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि सेवा शुरू हो जाती है. पूजा की शुरुआत शुभ मुहुर्त में कलश स्थापना के साथ होती है. ऐसा माना जाता है कि इन नौ दिनों में देवी मां की पूजा करने से व्यक्ति को यश, सम्मान और ज्ञान की प्राप्ति होती है। कृपया मुझे बताएं कि चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापना का सही समय कब है, कलश कैसे स्थापित करें और उसकी पूजा कैसे करें।
चैत्र घटस्थापना शुभ मुहूर्त
घटस्थापना मुहूर्त – 6:02 से 10:16, मंगलवार, 9 अप्रैल 2024
अवधि – 04 घंटे 14 मिनट
घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त- 11:57 से 12:48 तक.
अवधि – 00 घंटे 51 मिनट
घटस्थापना शब्द का अर्थ
नवरात्रि के दौरान घट स्थापना का बहुत महत्व है। कलश को हल्दी, सुपारी, दूर्वा और पांच अलग-अलग प्रकार के पत्तों से सजाया जाता है। कलश के नीचे रेत की वेदी बनाकर जौ बोये जाते हैं। दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ किया जाता है।
कलश स्थापना का सही तरीका
सबसे पहले पूजा स्थल को गंगा जल से शुद्ध कर लें। – अब हल्दी से अष्टकोण बनाएं. कलश बनाने के लिए एक मिट्टी के पात्र में मिट्टी रखें और उसमें जौ के बीज बो दें। अब मिट्टी या तांबे के कलश पर रोली से स्वस्तिक बनाएं। मटके के ऊपर मौली बांध दें। अब इस लोटे को साफ पानी से भर लें और इसमें कुछ बूंदें गंगाजल की भी डाल दें। अब इस कलश के जल में सिक्का, हल्दी, सुपारी, अक्षत, पान के पत्ते, फूल और इलायची डालें। फिर उसके अंदर पांच प्रकार के पत्ते रखें और कलश को ढक दें। इसके बाद नारियल को लाल चुनरी में लपेटकर कलश पर रखें।
पूजा विधि
1- सुबह उठकर स्नान करें और मंदिर की साफ-सफाई करें.
2- मां दुर्गा का अभिषेक गंगाजल से करें.
3- मां को अक्षत, लाल, चुनरी और लाल फूल चढ़ाएं.
4- सभी देवी-देवताओं के लिए रेचक औषधि बनाएं और उन्हें फल, फूल और तिलक लगाएं।
5- इंस्टॉल करें और क्लैश करें।
6- प्रसाद के रूप में फल और मिठाइयां परोसें.
7- घर के मंदिर में धूप और घी का दीपक जलाएं।
8- दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
9- पान के पत्ते पर कपूर और लौंग डालकर माता की आरती करें।
10. अंत में क्षमा के लिए प्रार्थना करें।