MoES : पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय भौतिकी-आधारित संख्यात्मक मॉडल के अलावा मौसम पूर्वानुमान प्रणालियों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने की खोज करता है। यह पहल मौसम संबंधी भविष्यवाणियों की सटीकता और दक्षता बढ़ाने के लिए एक व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जो कृषि, आपदा प्रबंधन और शहरी नियोजन सहित विभिन्न क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण हैं। प्रमुख पहल, भविष्य की योजनाएं और नवीन परियोजनाएं इस प्रकार हैंः
विभिन्न संस्थानों में सहयोगात्मक अनुसंधानः एमओईएस के तहत संस्थान अपनी अनुसंधान गतिविधियों और परिचालन ढांचे में एआई/मशीन लर्निंग (एमएल) पद्धतियों को शामिल करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। यह सहयोगात्मक दृष्टिकोण पृथ्वी विज्ञानों में एआई प्रौद्योगिकियों का व्यापक अनुप्रयोग सुनिश्चित करता है।
मौसम पूर्वानुमान के अनुसंधान और विकास में एआई और एमएल की उपलब्धियां और परिणाम नीचे दिए गए हैंः
- पूर्वाग्रह में कमी के साथ 1-दिन, 2-दिन और 3-दिन के प्रमुख समय में कम दूरी की वर्षा के पूर्वानुमान में सुधार किया।
- तापमान और वर्षा के लिए विकसित उच्च-रिज़ॉल्यूशन (300 मीटर) शहरी ग्रिड मौसम संबंधी डेटासेट।
- 1992-2023 से 30 मीटर के स्थानिक रिज़ॉल्यूशन के साथ समय-भिन्न सामान्यीकृत अंतर शहरीकरण सूचकांक विकसित किया।
- सत्यापन उद्देश्यों के लिए बहुत उच्च-रिज़ॉल्यूशन वर्षा डेटासेट विकसित किया गया।
- एआई/एमएल पद्धतियों का उपयोग करके उष्णकटिबंधीय चक्रवात गर्मी क्षमता (टीसीएचपी) की निगरानी और भविष्यवाणी करना।
- एआई/एमएल का उपयोग एनडब्ल्यूपी मॉडल उत्पादों के पूर्वाग्रह को ठीक करने के लिए किया जाता है।
मंत्रालय ने पुणे में भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) में एआई/एमएल/डीप लर्निंग (डीएल) पर एक समर्पित आभासी केंद्र की स्थापना की है। यह केंद्र पृथ्वी विज्ञान में प्रगति के लिए एआई, एमएल और डीएल तकनीकों का लाभ उठाने पर केंद्रित है। यह पहले से ही स्थानीय भविष्यवाणियों और मौसम और जलवायु पैटर्न के विश्लेषण के लिए कई एआई/एमएल-आधारित अनुप्रयोगों को विकसित कर चुका है।
यह जानकारी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।