Minister Joraram Kumawat ने स्वतंत्र रूप से विचरण करने वाली गायों को निराश्रित या बेसहारा कहने की प्रदेशवासियों से की अपील,

Minister Joraram Kumawat ने स्वतंत्र रूप से विचरण करने वाली गायों को निराश्रित या बेसहारा कहने की प्रदेशवासियों से की अपील,

पशुपालन एवं गोपालन मंत्री Joraram Kumawat  की प्रेस वार्ता

  • गायों को आवारा कहना हमारी सांस्कृतिक मूल्यों के विपरीत —पशुपालन एवं गोपालन मंत्री
Minister Joraram Kumawat News: पशुपालन एवं गोपालन मंत्री श्री जोराराम कुमावत ने सोमवार को मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार गौवंश के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए प्रतिबद्धता से काम कर रही है। गाय हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है। गाय के गोबर से बहुत सारे उत्पाद बनने लगे हैं और आज इसकी व्यावसायिक उपयोगिता हो गई है। इसी तरह गौमूत्र कई तरह की बीमारियों में काम आती है।
श्री कुमावत ने कहा कि पिछले कुछ सालों से समाज में गाय की उपेक्षा हो रही है। मशीनी युग आने से बैलों की उपयोगिता भी कम हो गई है। वर्तमान समय में कुछ गौवंश विभिन्न कारणों से असहाय स्थिति में सड़कों या अन्य सार्वजनिक स्थानों पर विचरते हैं। इन गौवंश के लिए आवारा शब्द का उपयोग सर्वथा अनुचित और अपमानजनक लगता है। यह हमारे सांस्कृतिक मूल्यों के भी विपरीत है। एक ओर हम गाय को माता कहकर बुलाते हैं वहीं दूसरी ओर इस तरह के शब्द का प्रयोग करते हैं। अतः स्वतंत्र रूप से विचरण करने वाले गौवंश को आवारा न कहकर निराश्रित/ बेसहारा गौवंश कहने से न केवल गौवंश के प्रति सम्मान, संवेदनशीलता और करूणा प्रदर्शित होती है बल्कि समाज में इनके प्रति उचित दृष्टिकोण भी निर्मित होता है।
श्री कुमावत ने कहा कि गौवंश के लिए आवारा शब्द को बदलने के विषय पर विधान सभा में भी चर्चा हुई थी और यह घोषणा की गई थी कि जल्द ही इस शब्द को बदल दिया जाएगा। विभागीय स्तर पर कार्यवाही करते हुए इस आशय के आदेश निकाल दिए गए हैं कि किसी भी सरकारी कार्यालय में गौवंश के लिए आवारा शब्द नहीं लिखें। अब गायों को आवारा कहने की बजाय निराश्रित या बेसहारा कहा जाएगा। उन्होंने बताया कि आदेश की कॉपी सभी जगह भिजवा दी गई है और यह निर्देश दिया गया है कि नीचे के स्तर तक इसकी पालना न केवल लिखित में बल्कि बोलचाल की भाषा में भी की जाए। उन्होंने प्रदेश के लोगों से अपील कि वे भी अपने बोलचाल की भाषा में ऐसे गौवंश के लिए सम्मानजनक शब्द का प्रयोग करें। उन्होंने कहा कि गायों का संरक्षण और संवर्द्धन हम सबका दायित्व है।
उन्होंने मीडिया केे सवालों का जवाब देते हुए कहा कि राजस्थान सरकार गाय को राज्य माता का दर्जा दिलाने के लिए महाराष्ट्र सरकार के निर्णय का अध्ययन करेगी जहां गाय को राज्य माता का दर्जा मिल चुका है। हमार विभाग महाराष्ट्र सरकार के संपर्क में है और वहां से नियम मंगाए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि सरकार गौवंश के लिए बहुत संवेदनशीलता से काम कर रही है। सरकार ने कई योजनाएं चला रखी हैं। राज्य में संचालित गौशालाओं का सरकार 9 महीने का और नंदीशालाओं को 12 महीने का अनुदान देती है। इसके अलावा गौशाला में बीमार और अपंग पशुओं के लिए भी 12 महीने का अनुदान दिया जाता है। ज्यादा से ज्यादा गौशाला खोलने की दिशा में भी सरकार प्रयत्नशील है जिससे गायों को निराश्रित नहीं रहना पड़े। हर पंचायत स्तर पर पशु आश्रय स्थल, पंचायत समिति स्तर पर नंदीशाला, जिला स्तर पर नंदीशाला योजना ऐसी ही योजनाएं हैं जो सरकार द्वारा वर्तमान  में चलाई जा रही हैं। इस तरह साल में लगभग 1150 करोड़ रुपये राज्य सरकार गोशालाओं के विकास और गायों के अनुदान के लिए उपलब्ध करा रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने पशुओं के निःशुल्क इलाज के लिए मोबाइल पशु चिकित्सा सेवा शुरू की है जो पशुपालकों के दरवाजे पर जाकर उनके पशुओं का इलाज कर रहा है। इसके लिए कॉल सेंटर भी शुरु  किया गया है जहां 1962 नंबर पर फोन कर पशुपालक इसका लाभ ले रहे हैं। सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के पशुपालक और पशु इस सेवा से लाभान्वित हो रहे हैं। इसी तरह सरकार दुधारू पशुओं के लिए बीमा योजना भी शुरू कर रही है। श्री कुमावत ने गायों के लिए काम कर रही गोशाला के संचालकों और भामाशाहों को गायों की सेवा करने के लिए धन्यवाद दिया।
उन्होंने कहा कि गौतस्करों और गाय विरोधी लोगों के विरूद्ध सरकार निश्चित रूप से कठोर कार्यवाही करेगी इसमें किसी तरह की कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी। जो भी गौशालाएं फर्जी तरीके से फायदा उठा रही है उन्हें भी बख्शा नहीं जाएगा।
श्री कुमावत ने इस अवसर पर प्रदेशवासियों को दीपावली पर्व की शुभकामनाएं दीं।
Source: https://dipr.rajasthan.gov.in

 

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