Minister Dr. Jitendra Singh ने ‘किसान कवच’ का शुभारंभ किया

Minister Dr. Jitendra Singh ने ‘किसान कवच’ का शुभारंभ किया


किसानों को ‘किसान कवच’ सूट का पहला बैच वितरित किया गया, Minister Dr. Jitendra Singh ने बढ़े हुए उत्पादन के साथ इसे और अधिक सलुभ बनाने का वादा किया

  • जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) की ब्रिक-इंस्टेम रिसर्च टीम ने सेपियो हेल्थ प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से कीटनाशक रोधी सूट ‘किसान कवच®’ को विकसित किया
  • ‘किसान कवच’, किसानों के स्वास्थ्य को कीटनाशकों द्वारा प्रेरित घातकता से बचाने की ‘अपनी तरह की पहली’ तकनीक है

Minister Dr. Jitendra Singh : केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार); पृथ्वी विज्ञान तथा प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज यहां भारत का अपनी तरह का पहला कीटनाशक रोधी बॉडीसूट, ‘किसान कवच’ का अनावरण किया। किसानों को कीटनाशकों के संपर्क में आने से होने वाले हानिकारक प्रभावों से बचाने के उद्देश्य से डिज़ाइन किया गया यह नवाचार किसानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम है और कृषि समुदाय को सशक्त बनाने हेतु विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

इस पहल के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, Minister Dr. Jitendra Singh ने इस बात पर जोर दिया कि ‘किसान कवच’ किसानों की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण कमी को पाटने वाला एक अभूतपूर्व समाधान है। सेपियो हेल्थ प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से बैंगलोर स्थित ब्रिक-इंस्टेम द्वारा विकसित, यह बॉडीसूट कीटनाशक-प्रेरित विषाक्तता, जो अक्सर श्वास संबंधी विकार, दृष्टि हानि और चरम स्थितियों में, मृत्यु सहित विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं का कारण बनता है, से सुरक्षा प्रदान करता है।

Minister Dr. Jitendra Singh ने कहा, “किसान कवच सिर्फ एक उत्पाद ही नहीं, बल्कि यह हमारे किसानों से उनके स्वास्थ्य की रक्षा करने का एक वादा है क्योंकि वे देश को भोजन प्रदान करते हैं।” धोने और फिर से उपयोग में समर्थ यह सूट, जिसकी कीमत 4,000 रुपये है, एक साल तक चल सकता है और संपर्क में आने पर हानिकारक कीटनाशकों को निष्क्रिय करने के लिए उन्नत फैब्रिक तकनीक का उपयोग करता है, जिससे किसानों की सुरक्षा अभूतपूर्व तरीके से सुनिश्चित होती है।

Minister Dr. Jitendra Singh ने इस परियोजना का नेतृत्व करने और समाज-केन्द्रित नवाचार प्रदान करने के लिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और ब्रिक-इनस्टेम के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार को एकीकृत करने पर मोदी सरकार के निरंतर ध्यान पर प्रकाश डाला, जो ‘किसान कवच’ जैसी पहल और बायोई3 की बायोमैन्यूफैक्चरिंग संबंधी पहल जैसी नीतियों में परिलक्षित होता है।

उन्होंने कहा, “पिछले दशक में, भारत में बायोटेक से जुड़े स्टार्टअप की संख्या 8,500 से अधिक हो गई है, जिससे हम 300 बिलियन डॉलर की बायोइकोनॉमी को हासिल करने की राह पर हैं। ‘किसान कवच’ जैसी पहल के जरिए हम न केवल अपने किसानों की सुरक्षा कर रहे हैं, बल्कि जलवायु की दृष्टि से सुदृढ़ कृषि और सतत विकास की दिशा में भी आगे बढ़ रहे हैं।”

इस सूट की मैन्यूफैक्चरिंग प्रक्रिया में सूती कपड़े पर न्यूक्लियोफाइल का सहसंयोजक जुड़ाव शामिल होता है, जिसे “किसान कवच®” के रूप में सिला जाता है। ‘किसान कवच’ का यह कपड़ा न्यूक्लियोफिलिक हाइड्रोलिसिस के माध्यम से संपर्क में आने वाले कीटनाशकों को निष्क्रिय कर सकता है, जिससे कीटनाशक-प्रेरित विषाक्तता और घातकता को रोका जा सकता है। ये निष्कर्ष नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में दिए गए हैं, (https://doi.org/10.1038/s41467-024-49167-3)।

इस कार्यक्रम के दौरान, किसानों को किसान कवच सूट के पहले बैच का वितरण भी किया गया। यह कृषि में संलग्न भारत की 65 प्रतिशत आबादी की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने आश्वासन दिया कि जैसे-जैसे इस सूट का उत्पादन बढ़ेगा, यह और अधिक किफायती होगा तथा देश भर के अधिक से अधिक किसानों को सुलभ हो जाएगा।

Minister Dr. Jitendra Singh ने समाज के कल्याण के लिए विज्ञान का लाभ उठाने की सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए ‘किसान कवच’ को भारत के कृषि समुदाय के लिए आशा की किरण बताया। उन्होंने कहा, “यह परिवर्तनकारी तकनीक न केवल एक तात्कालिक आवश्यकताओं को पूरा करती है, बल्कि अपने लोगों के लिए नवाचार करने की भारत की क्षमता को भी प्रदर्शित करती है।”

इस कार्यक्रम में उपस्थित जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश एस. गोखले; ब्रिक-इनस्टेम की निदेशक डॉ. मनीषा इनामदार; और वैज्ञानिक ‘एच’ एवं डीबीटी की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. अलका शर्मा ने इस परिवर्तनकारी नवाचार के पीछे के सहयोगात्मक प्रयासों पर प्रकाश डाला।

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