Maa Kushmanda Aarti
Maa Kushmanda Aarti: नवरात्र की चतुर्थी तिथि पर देवी का कूष्मांडा दर्शन करने का विधान है। शास्त्रों के अनुसार, देवी ने अपनी मंद मुस्कान से पिंड से ब्रह्मांड को इसी स्वरूप में बनाया था।
नवरात्र की चतुर्थी तिथि पर देवी का कूष्मांडा दर्शन करना विधान है। शास्त्रों के अनुसार, देवी ने पिंड से ब्रह्मांड तक अपनी मंद मुस्कान से इसी स्वरूप में बनाया था। कूष्मांडा स्वरूप के पूजन से यश, बल और धन में वृद्धि होती है और रोग-शोक से छुटकारा मिलता है। राजा सुबाहु की कथा काशी में देवी के प्रकट होने से जुड़ी है। दुर्गाकुंड क्षेत्र में देवी कूष्मांडा का मंदिर है। दुर्गाकुंड वाली दुर्गा भी उनका नाम है। मां कूष्मांडा रोग और कष्ट को दूर करती है। नवरात्र के चतुर्थ दिन, साधक का मन निरंतर चक्र में रहता है।
प्रातःकाल: स्नान करने के बाद मां कूष्मांडा को एक लाल पुष्प, गुड़हल या गुलाब दें। सिंदूर, धूप, दीप और नैवेद्य अपनी माँ को अर्पित करें। मां की पूजा करते समय हरे वस्त्र पहनें। मां को दही और हलवे का भोजन मिलता है। भक्तों को मां कूष्मांडा की उपासना से सभी सिद्धियाँ मिलती हैं। भक्तों को माँ कूष्मांडा की पूजा करने से सभी सिद्धियां मिलती हैं। मान्यता है कि मां की पूजा करने से व्यक्ति की आयु और सफलता बढ़ती है। मां की कृपा हर मनोकामना को पूरा करती है। नवरात्रि के चौथे दिन पर देवी कूष्मांडा का आशीर्वाद पाने के लिए विधिवत पूजा करने के साथ कूष्मांडा माता की आरती जरूर करें।
Maa Kushmanda Aarti
चौथा जब नवरात्र हो, कूष्मांडा को ध्याते।
जिसने रचा ब्रह्मांड यह, पूजन है उनका
आद्य शक्ति कहते जिन्हें, अष्टभुजी है रूप।
इस शक्ति के तेज से कहीं छांव कहीं धूप॥
कुम्हड़े की बलि करती है तांत्रिक से स्वीकार।
पेठे से भी रीझती सात्विक करें विचार॥
क्रोधित जब हो जाए यह उल्टा करे व्यवहार।
उसको रखती दूर मां, पीड़ा देती अपार॥
सूर्य चंद्र की रोशनी यह जग में फैलाए।
शरणागत की मैं आया तू ही राह दिखाए॥
नवरात्रों की मां कृपा कर दो मां
नवरात्रों की मां कृपा करदो मां॥
जय मां कूष्मांडा मैया।
जय मां कूष्मांडा मैया॥