5 या 6 जून को ज्येष्ठ अमावस्या है, इसलिए पूजाविधि मुहूर्त और स्नान-दान मुहूर्त को याद रखें।

5 या 6 जून को ज्येष्ठ अमावस्या है, इसलिए पूजाविधि मुहूर्त और स्नान-दान मुहूर्त को याद रखें।

Jyeshtha  Amavasya: 6 जून इस वर्ष ज्येष्ठ अमावस्या है। ज्येष्ठ अमावस्या के दिन देवताओं की पूजा की जाती है।

Jyeshtha  Amavasya: हिंदू धर्म में ज्येष्ठ अमावस्या बहुत महत्वपूर्ण है। ज्येष्ठ अमावस्या जून महीने में आती है। इस साल 6 जून को ज्येष्ठ अमावस्या होगी क्योंकि इसकी उदया तिथि है। ज्येष्ठ अमावस्या के दिन देवताओं की पूजा की जाती है। अब आइए जानते हैं ज्येष्ठ अमावस्या का शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि, उपाय और महत्व:

ज्येष्ठ अमावस्या कब है?

ज्येष्ठ, श्रीकृष्ण अमावस्या प्रारंभ – 07:54 PM, जून 5

जेष्ठ, कृष्ण अमावस्या समाप्त: 06:07 PM, जून 6, 2006

स्नान मुहूर्त: सुबह 05:10 बजे सुबह 7 बजे तक

पितृ दोष और काल सर्प दोष का समाधान

पितृ दोष और काल सर्प दोष से छुटकारा पाने के लिए ज्येष्ठ अमावस्या की विशेष तिथि पर कुछ उपाय कर सकते हैं। इसलिए इस दिन भगवान शिव को पूरी श्रद्धा से पूजें। वहीं, इस दिन पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए पितृ स्तोत्र और पितृ कवच का पाठ करना अनिवार्य है। ज्येष्ठ अमावस्या पर ब्राह्मणों को भोजन और तर्पण करने से पितरों की कृपा घर पर रहती है।

अमावस्या का शुभ मुहूर्त

अमावस्या का शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त 04:02 AM से 04:42 AM तक चलता है

प्रातःकाल 04:22 AM से 05:23 AM तक

स्थापित मुहूर्त: 11:52 AM से 12:48 PM

विजेता मुहूर्त: 02:39 PM से 03:35 PM

गोधूलि मुहूर्त 07:16 PM से 07:36 PM तक चलता है

सायाह्न सन्ध्या 07:17 PM से 08:18 PM तक होती है

अमृत काल 05:12 PM से 06:44 PM तक

निशिता मुहूर्त: जून 07, 12:00 PM से 12:40 AM

पूजा-पाठ

1: स्नान आदि करके मंदिर साफ करें

2. गणेश जी को धन्यवाद दें

3. विष्णु को गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करें

4. अब प्रभु को पीला चंदन और पुष्प दें।

5: मंदिर में घी का दीपक जलाएं

6: श्री विष्णु चालीसा पढ़ें

7: पूरी श्रद्धा से श्रीकृष्ण की आरती करें

8: एक दल तुलसी के साथ भोग लगाएं

9. अंत में माफी माँगें

महत्त्व

ज्येष्ठ अमावस्या पर स्नान करना और दान करना बहुत महत्वपूर्ण है। ज्येष्ठ की अमावस्या पर दान करने से पितृ दोष का असर कम हो सकता है। ज्येष्ठ अमावस्या पर भी पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। वहीं, आज गाय, कौवे और कुत्ते को भोजन देने से जीवन के कष्टों को दूर किया जा सकता है।

 

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