HMPV : भारत में भी ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस फैल गया। सोमवार से अब तक देश में इसके छह मामले सामने आए हैं। इन मामलों में अजीब बात यह है कि मरीजों की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है, लेकिन वे वायरस से संक्रमित हैं। आइए जानें वायरस के लक्षणों और खुद को सुरक्षित रखने के तरीके।
HMPV : कोरोना के बाद अब दुनिया को एक और चीनी वायरस का खतरा मंडरा रहा है। भारत में भी इसकी पुष्टि होती रहती है। अबतक देश में छह मामले सामने आए हैं, जिनमें कल दो बच्चियां कर्नाटक में, एक बच्चा अहमदाबाद में, एक बच्चा पश्चिम बंगाल में और एक बच्चा तमिलनाडु में वायरस से संक्रमित पाया गया है। यह पहला मामला सुबह कर्नाटक से सामने आया था, जहां एक निजी अस्पताल में एक आठ महीने की बच्ची और एक तीन महीने की बच्ची को ब्रोन्कोन्यूमोनिया की बीमारी हो गई थी। 3 जनवरी को जांच के बाद HMPV वायरस से संक्रमित होने का पता चला। हालाँकि, स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी अब इसके लिए निर्देश जारी किए हैं। जेपी नड्डा के लोगों को वायरस की सलाह और शुरुआती उपचार के बारे में जानें।
स्वास्थ्य मंत्री ने क्या कहा?
स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कल देशवासियों को वायरस के बारे में सलाह दी कि यह कोई नया वायरस नहीं है। 2001 में इसकी पहचान होने के बाद पूरी दुनिया इसे जानने लगी। सांस लेने और हवा के माध्यम से यह वायरस फैलता है और हर एज ग्रुप के सदस्यों को प्रभावित कर सकता है। डब्ल्यूएचओ भी इस वायरस पर नजर रखता है और जल्द ही रिपोर्ट देगा।
HMPV क्या है?
यह ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस या मानव मेटान्यूमोवायरस भी कहलाता है। क्लीवेलैंड क्लीनिक ने बताया कि यह एक रेस्पिरेट्री इन्फेक्शन है, जो सर्दी-जुकाम जैसी समस्याओं को जन्म देता है। इससे अस्थमा और निमोनिया भी होता है। यह वायरस सर्दियों में तेजी से फैलता है। यह वायरस रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस (RSV) के एकमात्र समूह का है। 5 साल से कम आयु के बच्चों पर यह वायरस अधिक फैलता है। वहीं, यह लक्षण फिर से दिखाई दे सकता है।
फैलने के तरीके क्या हैं?
सांसों से यह फैलता है। आप भी इस वायरस से संक्रमित किसी व्यक्ति से संपर्क में आने से संक्रमित हो सकते हैं। यह दूषित स्थानों को छूने से भी फैलता है। जैसे कि किसी और को खांसते या छींकते समय वायरस की बूंदें मिलने, हाथ मिलाने या गले मिलने से वायरस फोन, दरवाजे और अन्य सतहों से फैलता है।
इसके पहले लक्षणों में खांसी बुखार बहती या भरी हुई नाक, गला खराब होना, घरघराहट, सांस लेने में तकलीफ होना और खरोंच पड़ना शामिल हैं।
पहला उपचार क्या है?
अगर मरीज को, अधिकांश बच्चे, सांस संबंधी समस्याओं से पीड़ित हैं निमोनिया से पीड़ित व्यक्ति को विशेष ध्यान देना चाहिए। डॉक्टरी सलाह के बिना कोई एंटीवायरल दवा नहीं लेने की दूसरी सलाह है। अगर किसी व्यक्ति में वायरस की पुष्टि हुई है, तो वह दूसरे लोगों से दूर रहे। शौचालय का ध्यान रखें। हल्के मामले एक हफ्ते में समाप्त हो जाते हैं। अगर वे बहुत बीमार हैं, तो वे भी अस्पताल में रह सकते हैं। 103 डिग्री बुखार से अधिक होने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। नींद, भोजन और प्रतिरक्षा का ध्यान रखें।
स्वीकृति: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले, विशेषज्ञों से सलाह अवश्य लें।