Hindi Cinema: ये एक्टर, जो कभी बच्चों को कुरान पढ़ाता था और फिर कॉमेडियन बन गया, बड़े-बड़े सुपरस्टार्स का रिकॉर्ड तोड़ा

Hindi Cinema: ये एक्टर, जो कभी बच्चों को कुरान पढ़ाता था और फिर कॉमेडियन बन गया, बड़े-बड़े सुपरस्टार्स का रिकॉर्ड तोड़ा

Hindi Cinema: 5 फुट कद वाले इस एक्टर ने लाखों लोगों को अपने मदमस्त अंदाज से मोहित किया। महान सितारे  इनके रिकॉर्ड को तोड़ नहीं पाए, भले ही उनमें इतना टैलेंट था।

Hindi Cinema में कुछ ऐसे एक्टर हैं, जिन्होंने एक अलग ही स्तर की लोकप्रियता हासिल की है, भले ही कभी मुख्य भूमिका नहीं निभाई हों। जॉनी लीवर, विजय राज, सुनील ग्रोवर और कादर खान कुछ अभिनेता हैं जो बड़े पर्दे पर लीड रोल नहीं निभाते हैं, लेकिन ये सभी बहुत लोकप्रिय हैं। इस सूची में एक और अभिनेता का नाम है, जिनकी हाइट सिर्फ पांच फुट थी, लेकिन वे बड़े-बड़े सितारों से अधिक लोकप्रिय थे। 5 फुट कद वाले इस एक्टर ने लाखों लोगों को अपने मदमस्त अंदाज से मोहित किया। महान सितारों ने इनके रिकॉर्ड को तोड़ नहीं पाए, भले ही उनमें इतना टैलेंट था। उन्हें अपनी चुलबुली हंसी ने सबको हंसाकर लोटपोट कर दिया। वह कभी नत्थूलाल तो कभी तैय्यब अली बनकर दर्शकों को खूब हंसाया। हम कॉमेडियन मुकरी की बात कर रहे हैं।

“मूंछें हों तो नत्थूलाल जैसी हों” वर्ना न हों’

मुकरी ने अपने छह दशक के करियर में दिलीप कुमार से लेकर अमिताभ बच्चन तक हर महान अभिनेता के साथ काम किया और नाम कमाया। हालाँकि, उन्हें अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘शराबी’ से पहचान मिली, जिसमें उनका डायलॉग, ‘मूंछें हों तो नत्थूलाल जैसी वर्ना न हों’, बहुत लोकप्रिय हुआ। अब मुकरी नहीं हैं, लेकिन उनके किस्से आज भी लोकप्रिय हैं।

कॉमेडी इतिहास

वैसे भी, सिर्फ हीरो, हीरोइन और खलनायक ही फिल्मों की मुख्य भूमिका नहीं हैं। एक फिल्म में कई किरदारों का योगदान होता है। फिल्म में कई किरदार हैं जो भले ही मुख्य भूमिका नहीं निभाते, लेकिन उनकी उपस्थिति पूरी फिल्म को बदल देती है। मुकरी ने अपनी कॉमेडी से इतिहास रचने वाले हर किरदार से लोगों को हंसाया और हैरान किया।

जन्म रायगढ़ के उरन में

मुकरी का जन्म 5 जनवरी 1922 को महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के उरन में हुआ था। मुकरी का पिता हिसामुद्दीन उमर मुकरी था, और मां अमीना बेगम थी। मुकरी के अब्बा ने अपने बच्चों को कुरान सिखाया था। मुकरी को उनके माता-पिता ने मोहम्मद उमर मुकरी नाम दिया जब वे जन्मे। इंटरव्यू में मुकरी ने बताया कि उनके पूर्वज अफगानिस्तान से भारत आए थे।

जन्म एक पुरातन कोंकणी मुस्लिम परिवार में हुआ

वह एक पुरातन कोंकणी मुस्लिम परिवार से आते थे। इसलिए मुकरी इतने बड़े कॉमेडियन बनने का सपना किसी ने कभी नहीं सोचा था। मुकरी का रुझान स्कूल में एक्टिंग की ओर होने लगा। मुकरी के बड़े भाई Mumbai में रहते थे। तब उन्होंने मुकरी को मुंबई बुला लिया और उसे अंजुमन इस्लाम नामक संस्थान में भर्ती कराया। इसी स्कूल में यूसुफ खान, यानी दिलीप कुमार भी पढ़ा करते थे।

मुकरी स्कूल में दिलीप कुमार के जूनियर थे

दिलीप कुमार मुकरी स्कूल में सीनियर थे, जबकि उनके भाई नासिर खान मुकरी में उनके क्लासमेट थे। लेकिन मुकरी की दोस्ती दिलीप कुमार से नासिर से अधिक रही। मुकरी को अंजुमन हाई स्कूल में ही एक नाटक में काम करने का मौका मिला था। मुकरी ने इस नाटक में ‘खान बहादुर’ का किरदार निभाया था। इस नाटक के बाद मुकरी ने निर्णय लिया कि वह सिर्फ एक एक्टर बनेंगे।

दिलीप कुमार ने दिलाई नौकरी

मुकरी और दिलीप कुमार पढ़ाई पूरी करने के बाद अपनी-अपनी जिंदगी में आगे बढ़ गए। मुकरी कुछ समय तक परिवार के दबाव में काजी बन गए। वो मदरसे में कुरान भी पढ़ाते थे। मुकरी इस काम से खुश नहीं थे क्योंकि उनका लक्ष्य एक्टिंग करना था। उन्होंने इसे छोड़कर कुछ समय तक सरकारी नौकरी भी की। एक दिन मस्जिद में वे फिर अपने दोस्त दिलीप कुमार से मिले। मुकरी ने दिलीप कुमार से अपनी भावनाओं का खुलासा किया। तब दिलीप कुमार भी फिल्मी दुनिया में अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रहे थे।

600 से अधिक फिल्मों में अभिनय

Hindi Cinema: मुकरी को दिलीप कुमार ने महबूब खान और के. आसिफ की फिल्मों में असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में काम दिलवाया, जिससे वह उनकी फिल्मों में आ गया। मुकरी को 1945 में दिलीप कुमार की फिल्म प्रतिमा में पहली बार अभिनय का अवसर मिला। मुकरी ने बहुत सी फिल्मों में काम किया, जैसे ‘शराबी’, ‘नसीब’, ‘लावारिस’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘महान’, ‘अमर अकबर एन्थॉनी’, ‘कुली’, ‘मदर इंडिया’, ‘गोपी’, ‘कोहिनूर’, ‘बॉम् बे टू गोवा’, ‘फरिश् ते’, ‘जादूगर’ और ‘महान। मुकरी ने अपने पूरे करियर में लगभग 600 फिल्मों में विभिन्न किरदार निभाए हैं।

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