EVM: में गिने जाने वाले मतों और डाले गए वोटों के बीच अंतर क्यों है? चुनाव आयोग ने प्रतिक्रिया दी

EVM: में गिने जाने वाले मतों और डाले गए वोटों के बीच अंतर क्यों है? चुनाव आयोग ने प्रतिक्रिया दी

EVM: ECI के अनुसार, रियल वोटिंग शुरू होने से पहले पीठासीन अधिकारी कंट्रोल यूनिट से मॉक पोल डेटा देना भूल जाते हैं। या फिर, वीवीपैट से मॉक पोल पर्चियां अक्सर नहीं निकाली जाती हैं।

EVM: कुछ स्थानों पर ईवीएम में डाले गए वोटों और गिने गए कुल वोटों के बीच अंतर क्यों हो रहा है? चुनाव आयोग ने इसका खुद ही उत्तर दिया है। ECI का कहना है कि ऐसा हो सकता है क्योंकि कुछ वोटों को नियमों के अनुसार नहीं गिना गया है। दरअसल, इंटरनेट यूजर्स ने इसे लेकर प्रश्न उठाए हैं। ऐसे ही एक व्यक्ति ने X पर पोस्ट करके पूछा कि EVM पर जितने वोटों की गिनती और डाले गए वोटों के बीच हजारों का अंतर है। आखिर ऐसा कैसे हो सकता है?

उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। विशेष प्रोटोकॉल के पालन से ऐसा अंतर हो सकता है, उन्होंने कहा। निम्नलिखित कारणों से कुछ मतदान केंद्रों के वोटों की गिनती नहीं की जाती है..।

1. रियल वोटिंग शुरू होने से पहले, पीठासीन अधिकारी कंट्रोल यूनिट से मॉक पोल डेटा देना भूल जाते हैं। या फिर, वीवीपैट से मॉक पोल पर्चियां अक्सर नहीं निकाली जाती हैं।

2. पीठासीन अधिकारी द्वारा बनाया गया फॉर्म 17-सी रिकॉर्ड और नियंत्रण विभाग में डाले गए कुल वोटों में अंतर हो सकता है। ऐसी स्थिति में भी ईवीएम में गिने जाने वाले वोटों की संख्या और कुल वोटों की संख्या अलग हो सकती है।

चुनाव आयोग के अनुसार, ऐसे मतदान केंद्रों के वोट अंत में केवल तभी गिने जाते हैं जब उनका कुल योग पहले और दूसरे उम्मीदवारों के बीच की दूरी के बराबर या उससे अधिक हो। कुल अंतर मार्जिन से भी कम होने पर ये वोट नहीं गिने जाएंगे। इस प्रकार, गिने गए वोटों और EVM में डाले गए वोटों के बीच अंतर बनाया जाता है।

दूसरी ओर, निर्वाचन आयोग ने महात्मा गांधी की स्मृति में हिंसा मुक्त लोकसभा चुनाव का आह्वान किया। ECI ने कहा कि आयोग ने देश को अशांत करने वाली अफवाहों और गलत संदेहों से चुनाव प्रक्रिया को बाधित करने की पूरी कोशिश को विफल कर दिया। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि निर्वाचन आयोग 76 वर्ष से देश के प्रति समर्पित है, और इसकी सेवा अटूट समर्पण से जारी रहेगी। पार्टी ने कहा, “हमने उन अफवाहों व बेबुनियाद संदेहों से चुनाव प्रक्रिया को पटरी से उतारने की कोशिश विफल कर दी है जिनसे अशांति फैल सकती थी। भारत के आम आदमी की इच्छा और विवेक ने लोकतांत्रिक संस्थाओं पर जीत हासिल की है।’

 

 

 

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