Delhi Govt Plan: दिल्ली में 26 नॉन-कंफर्मिंग औद्योगिक क्षेत्रों का पुनर्विकास, 15 लाख लोगों को रोजगार देगा

Delhi Govt Plan: दिल्ली में 26 नॉन-कंफर्मिंग औद्योगिक क्षेत्रों का पुनर्विकास, 15 लाख लोगों को रोजगार देगा

Delhi Govt Plan:  दिल्ली के एक गोदाम क्लस्टर और 26 गैर-कंफर्मिंग औद्योगिक क्षेत्रों का पुनर्निर्माण जल्द ही समाप्त हो जाएगा। दिल्ली सरकार जून के अंत तक तीन चरणों में उनके पुनर्निर्माण की योजना को अंतिम रूप देगी।

राजधानी दिल्ली में एक गोदाम क्लस्टर और 26 गैर-कंफर्मिंग औद्योगिक क्षेत्रों का पुनर्विकास जल्द ही समाप्त हो जाएगा। दिल्ली सरकार जून के अंत तक तीन चरणों में उनके पुनर्निर्माण की योजना को अंतिम रूप देगी। बाद में यहां सार्वजनिक सुविधाओं, अच्छी सड़कों और रोजगार के अवसरों का विस्तार होगा। दिल्ली के इन क्षेत्रों में कुल 51 हजार से अधिक औद्योगिक संस्थाएं हैं। सरकार का अनुमान है कि योजना लागू होने पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 15 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा।

Delhi Govt Plan: 2022-23 के रोजगार बजट में दिल्ली सरकार ने नॉन-कंफर्मिंग औद्योगिक क्षेत्र को पुनर्जीवित करने का ऐलान किया था। सरकार अब इसे अंतिम रूप देने जा रही है, दो वर्ष से लंबी बैठकों और बहसों के बाद। यह दिल्ली में 10 लाख से अधिक वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।

इसे तीन चरणों में बनाया जा रहा है। विभिन्न कंपनियों को निविदा के माध्यम से चुना जा रहा है। पहले चरण में 40 फीसदी हिस्से का काम एक कंपनी, 25 फीसदी दूसरी कंपनी और 35 फीसदी हिस्से के लिए अंतिम चरण में सलाहकार कंपनी का चुनाव होता है। पुनर्निर्माण के दौरान, डीडीए के मास्टर प्लान 2021/2041 (ड्राफ्ट) के तहत पूरा लेआउट प्लान बनाया जाएगा।

प्लांट का क्षेत्रफल 500 वर्गमीटर है: प्लांट का क्षेत्रफल औद्योगिक क्षेत्र में 500 वर्गमीटर से अधिक होगा। इसमें निर्माण के दौरान जमीन का सिर्फ 70% कवरेज किया जा सकेगा। बाकी स्थानों पर पार्किंग, सब स्टेशन और हरित क्षेत्र सहित अन्य सुविधाएं दी जाएंगी। भविष्य में प्लांट के लेआउट और डिजाइन को कोई नुकसान नहीं होगा, इसलिए सभी प्लांट के जीपीएस कोआर्डिनेट्स को तैनात किया जाएगा। योजना से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अगले कुछ महीनों में चरणबद्ध तरीके से लेआउट योजना बनाई जाएगी। तब उस पर काम होगा।

यह नॉन-कंफर्मिंग क्षेत्र है

दिल्ली का ऐसा स्थान जहां औद्योगिक इकाइयां धीरे-धीरे आवासीय क्षेत्रों में खुलती चली गईं अब वहां 70% औद्योगिक यूनिट चल रही हैं, जबकि उन्हें इसे चलाने की अनुमति नहीं है। ऐसे क्षेत्रों को सरकार ने नॉन-कंफर्मिंग क्षेत्र नाम दिया है। इसमें दिल्ली के आनंद पर्वत, शाहदरा, समयपुर बादली, जवाहर नगर, लिबासपुर, हस्तताल पॉकेट-ए, हैदरपुर, करावल नगर, डाबड़ी, रणहौला, टीकरी कलां, मुंडका फिरनी रोड, बसई दारापुर, प्रहलादपुर और अन्य क्षेत्र शामिल हैं। अब सरकार इनका पुनर्निर्माण करके इसे मंजूरी देना चाहती है।

इस तरह जगह का उपयोग होगा

● 40 फीसदी क्षेत्र सार्वजनिक सुविधाओं के लिए आरक्षित

● 10 प्रतिशत जगह पार्किंग, सर्विस लेन, एसटीपी प्लांट और अन्य उद्देश्यों के लिए है

● पार्क और हरित क्षेत्रों के लिए आठ फीसदी जगह

● व्यावसायिक एक्टिविटी के लिए 3 फीसदी आरक्षित होगा

पुनर्निर्माण के लिए दोनों को लागत का हिस्सा देना होगा

● 90 फीसदी खर्च राज्य करेगा

● औद्योगिक संगठनों को 10% खर्च देना होगा

 

 

 

 

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