Delhi Air Pollution : Artificial Rain क्या है और कैसे काम करता है? कृत्रिम बारिश से दिल्ली की “जहरीली” हवा कैसे साफ होगी?

NEW DELHIDelhi Air Pollution : Artificial Rain क्या है और कैसे काम करता है? कृत्रिम बारिश से दिल्ली की "जहरीली" हवा कैसे साफ होगी?Delhi Air Pollution : Artificial Rain क्या है और कैसे काम करता है? कृत्रिम बारिश से दिल्ली की "जहरीली" हवा कैसे साफ होगी?, INDIA - NOVEMBER 2: A view of Kartavya Path, clear sky on November 2, 2024 in New Delhi, India. Delhi NCR has seen a sharp rise in pollution levels following Diwali despite a ban on firecrackers. The air quality has deteriorated swiftly, with Delhi classified as 'very poor.' Cities like Gurugram, Ghaziabad, and Noida also face 'very poor' conditions. Streets covered with firecracker remains and toxic foam on the Yamuna river heighten the health risks. (Photo by Arvind Yadav/Hindustan Times via Getty Images)

Delhi Air Pollution प्रदूषण को कम करने के लिए कृत्रिम बारिश: कृत्रिम बारिश अब दिल्ली का वायु प्रदूषण कम करने का एकमात्र उपाय है।

  • केंद्र सरकार से इसके लिए अनुमति मांगी गई है, लेकिन कृत्रिम बारिश स्मॉग को दूर करने में कामयाब होगी? कृत्रिम बारिश को जानें..।

Delhi Air Pollution: दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर गंभीर है। दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400-500 है। पिछले दो महीने से स्मॉग की कठोर चादर रही है। वायू प्रदूषण इतना घातक हो गया है कि सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। दिल्ली की हवा घने कोहरे की चादर से भरी हुई है। दिल्ली की हवा बहुत जहरीली है।

दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बारहवीं तक के स्कूलों को बंद कर दिया है। 50 % सरकारी कर्मचारी फ्रॉम होम में काम करेंगे। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने इस बीच केंद्र सरकार से कृत्रिम बारिश (आर्टिफिशियल रेन) कराने की अनुमति मांगी है। इसके लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया है। कृत्रिम बारिश क्या है, यह कैसे काम करती है और क्या यह वायु प्रदूषण को कम कर देगी?

कृत्रिम बारिश और क्लाउड सीडिंग के बारे में क्या पता है?

राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार कृत्रिम बारिश करने की कोशिश कर रही है। कृत्रिम बारिश होती है जब बादल छाए होते हैं, लेकिन नहीं बरसते। बारिश भी होती है, लेकिन वह धरती पर नहीं गिरती, बल्कि गरज रहे बादलों में दब जाती है। ऐसे परिस्थितियों में विशेष प्रौद्योगिकी का उपयोग करके बारिश की जाती है। क्लाउड सीडिंग एक प्रौद्योगिकी है।

इसके तहत बारिश के बीच बादलों में डालकर पानी डाला जाता है। बादलों में बीज सिल्वर आयोडाइड, पोटैसियम क्लोराइड और सोडियम क्लोराइड का मिश्रण छिड़का जाता है। यह बीज बादल में मौजूद पानी की बूंदों को एकत्र करके बर्फ बनाते हैं। यह बर्फ की बूंदें एक दूसरे से चिपककर गुच्छे बनाते हैं, जो फूटते ही जमीन पर गिरते हैं।

कृत्रिम बारिश अभी भी कराई जा सकती है?

परमिशन मिलने के बाद भी कृत्रिम बारिश नहीं कराई जा सकेगी, सूत्रों ने बताया। क्योंकि कृत्रिम बारिश करने के लिए बादल छाने की आवश्यकता होती है अब आसमान साफ है, इसलिए कृत्रिम बारिश दिल्ली में संभव नहीं है क्योंकि 40% बादल आवश्यक हैं।

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