CM Arvind Kejriwal: केजरीवाल की याचिका पर HC ने CBI से मांगा जवाब

CM Arvind Kejriwal: केजरीवाल की याचिका पर HC ने CBI से मांगा जवाब

CM Arvind Kejriwal: 26 जून को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया। 21 मार्च को केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था। केजरीवाल ने गिरफ्तारी को चुनौती दी।

CM Arvind Kejriwal: दिल्ली हाई कोर्ट में मंगलवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई हुई. उन्हें केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कथित शराब घोटाले में गिरफ्तार करके तीन दिन तक रिमांड पर रखा था। आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष की गिरफ्तारी और रिमांड की मांग पर कोर्ट ने सीबीआई से प्रतिक्रिया मांगी है। 17 जुलाई को इस मामले की अगली सुनवाई होगी।

केजरीवाल की याचिका पर जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की बेंच ने निर्णय लिया। गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए केजरीवाल के अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि एफआईआर 2022 में ही दर्ज की गई थी। अप्रैल 2023 में उन्हें समन  किया गया था और 9 घंटे की पूछताछ की गई थी। इसके बाद से कोई कार्रवाई नहीं हुई, और अब उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी मेमो में कुछ कारण बताए जाने की आवश्यकता होती है।

कोर्ट ने सिंघवी से कहा कि आप उनकी गिरफ्तारी को रद्द करके उन्हें जेल से छोड़ने की मांग कर रहे हैं? सिंघवी ने इसका जवाब हां में दिया तो कोर्ट ने पूछा, ‘क्या आपने जमानत याचिका दायर की है? सिंघवी ने कहा कि अभी नहीं किया है, लेकिन करने जा रहे हैं। कोर्ट ने सीबीआई को नोटिस देकर उत्तर देने को कहा। शनिवार को न्यायाधीश ने मामले की सूचीबद्धता की मांग की।

26 जून को केजरीवाल को सीबीआई ने तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था। ईडी ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग केस में न्यायिक हिरासत में रखा था। केजरीवाल को गिरफ्तार करने के बाद निचली अदालत ने तीन दिन की सीबीआई रिमांड में भेजा था। जांच एजेंसी ने रिमांड समाप्त होने के बाद केजरीवाल को फिर से न्यायिक हिरासत में भेजने की अपील की, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।

विशेष अदालत के 26 जून के आदेश को भी केजरीवाल ने चुनौती दी है, जो उन्हें तीन दिन के लिए सीबीआई की रिमांड पर भेजा गया था। उनका दावा था कि सीबीआई ने उनकी गिरफ्तारी के लिए झूठा आधार बनाया था। गिरफ्तारी का कोई आधार नहीं था। याचिका में कहा गया कि उनकी गिरफ्तारी कथित तौर पर 4 जून से पहले सीबीआई के कब्जे में मौजूद सामग्री के आधार पर की गई थी। पहले से उपलब्ध सामग्री के आधार पर गिरफ्तारी अवैध है, इसमें पुनर्मूल्यांकन शामिल है, जिसकी कानूनन अनुमति नहीं है।

 

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