Chief Secretary Shri T.V.S.N. Prasad: सरकार ने सतत खेती और बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए 1198.27 करोड़ रुपये की योजना को दी मंजूरी

Chief Secretary Shri T.V.S.N. Prasad: सरकार ने सतत खेती और बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए 1198.27 करोड़ रुपये की योजना को दी मंजूरी

Chief Secretary Shri T.V.S.N. Prasad

हरियाणा के Chief Secretary Shri T.V.S.N. Prasad की अध्यक्षता में  हुई बैठक में  राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) और कृषोन्ति योजना की राज्य स्तरीय स्वीकृति समिति ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए वार्षिक कार्य योजना (एएपी) को मंजूरी दे दी है। इस योजना में कृषि उत्पादकता को बढ़ाना, सतत खेती के तौर-तरीकों को प्रोत्साहित करना तथा बुनियादी ढांचे और मूल्य संवर्धन में रणनीतिक निवेश के माध्यम से किसानों की आजीविका  बढ़ाने के लिए 1198.27 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। आरकेवीवाई कैफेटेरिया योजना की कुल कार्य योजना 995.50 करोड़ रुपये की है, जबकि कृषोन्ति योजना की कार्य योजना 203.27 करोड़ रुपये की है।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्य सचिव ने जल संरक्षण और सूक्ष्म सिंचाई  को बढ़ावा देने   पर बल दिया।उन्होंने कहा कि प्रदेश में सूक्ष्म सिंचाई को बड़े पैमाने पर लोकप्रिय बनाने के लिए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग और सिंचाई विभाग मिलकर ठोस पहल करें।बैठक में उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय की 1000 एकड़ भूमि में सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली को अपनाया जाना चाहिए ताकि लोग इसे व्यावहारिक तौर पर देख और समझ सकें।  सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग ने 1 लाख एकड़ भूमि को सूक्ष्म सिंचाई के तहत लाने का लक्ष्य रखा है।

श्री प्रसाद ने कहा कि कृषि और किसानों की बेहतरी के लिए किए जा रहे अनुसंधानों को प्रयोगशाला से खेत तक पहुंचाए जाने की आवश्यकता है ताकि किसानों को समय पर और सही मायने में इसका लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि नई  तकनीक के प्रदर्शन के लिए लगाए जाने वाले प्लॉट ऐसी जगह पर लगाए जाएं, जहां ज्यादा से ज्यादा किसान इन्हें देख सकें।

मुख्य सचिव ने कहा कि कपास वाले क्षेत्र में गुलाबी सुंडी का प्रकोप खासकर कृषि वेस्ट आदि के कारण होता है। कृषि विश्वविद्यालय गांवों को गोद लेकर किसानों को इससे निपटने बारे प्रशिक्षण दे। साथ ही, इससे बचाव के लिए किए गए उपायों की निरंतर मॉनिटरिंग भी करे ताकि इस बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सके।

श्री  प्रसाद ने कहा कि कॉलेज और विश्वविद्यालय के छात्रों को खाद्य एवं मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं के स्टार्टअप शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।साथ ही, लोगों को भी खाद्य पदार्थों और फल- सब्जियों की जांच करवाने के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। बैठक में बताया गया कि  कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा मृदा परीक्षण के लिए एक ऐप विकसित की जा रही है जिससे आप मृदा परीक्षण के रिपोर्ट किसानों के मोबाइल फोन पर ही उपलब्ध होगी।आरकेवीवाई) और कृषोन्ति योजना के तहत स्वीकृत परियोजनाओं में कई प्रमुख पहलें शामिल हैं जिनमे  प्रदेश के 13 जिलों-रोहतक, झज्जर, सोनीपत, भिवानी, हिसार, जींद, चरखी दादरी, फतेहाबाद, नूंह, गुरुग्राम, सिरसा, पलवल और फरीदाबाद में जलभराव और लवणीय मृदा के पुनर्वास के लिए 1500 लाख रुपये का आवंटन किया गया है।

इसके अलावा, आर.आर.एस. बावल में 125 लाख रुपये के निवेश से गाय-केंद्रित प्राकृतिक खेती मॉडल और अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना की जाएगी। बागवानी फसलों की मिट्टी रहित खेती को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के पंचकूला स्थित कृषि किसान केंद्र में एक हाइड्रोपोनिक यूनिट स्थापित करने के लिए 50 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं। इसके अलावा, कटाई के बाद नुकसान को कम करने के लिए, सी.सी.एस.एच.ए.यू., हिसार में प्याज के लिए आधुनिक भंडारण संरचनाओं के निर्माण हेतु 53 लाख रुपये आवंटित किए गए हैं। जैविक कीट नियंत्रण विधियां विकसित करने और सतत खेती प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए, आर.आर.एस. बावल में जैव नियंत्रण प्रयोगशाला के लिए 150.00 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं। कीट प्रबंधन में सुधार के लिए स्क्रीन हाउसेज के पुनरुद्धार हेतु 49.30 लाख रुपये तथा पानी के उपयोग को अनुकूलित करने और फसल की पैदावार में सुधार करने के लिए के उद्देश्य से सी.सी.एस.एच.ए.यू. हिसार में स्वचालित सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली की स्थापना के लिए 70 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं। संस्थागत सहायता के अन्तर्गत विभिन्न संस्थानों के लिए बड़ी राशि स्वीकृत की गई है।

इसके तहत सी.सी.एस.एच.ए.यू., हिसार को प्राकृतिक खेती और आधुनिक भंडारण संरचनाओं सहित कई परियोजनाओं के लिए 497.30 लाख रुपये दिए जाएंगे। महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय, करनाल को गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाओं और मौसम केन्द्रों की स्थापना के लिए 240 लाख रुपये जबकि आई.आई.डब्ल्यू.बी.आर., करनाल को गेहूं रोग नियंत्रण और कृषि-उद्यमिता केंद्र के लिए नैदानिक सुविधाएं स्थापित करने के लिए 673.50 लाख रुपये आवंटित किए गए हैं। मूल्य संवर्धन परियोजनाओं में, फल और सब्जी प्रसंस्करण में प्रशिक्षण के लिए 117.60 लाख रुपये, प्राकृतिक खेती तकनीकों के लिए 93.20 लाख रुपये और उच्च गुणवत्ता वाली जैविक खाद विकसित करने के लिए 149 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं के कौशल विकास के लिए 141.11 लाख रुपये और सतत बाजरा उत्पादन सहायता के लिए 31.40 लाख रुपये दिए जाएंगे। इसी प्रकार, प्रमाणित बीज वितरण के लिए 1500 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। साथ ही, प्रमाणित बीज उपचार और गुणवत्ता वाले कीटनाशकों के लिए 300 लाख रुपये और 100.00 लाख रुपये का अतिरिक्त आवंटन किया गया है। दक्षता और कीट नियंत्रण बढ़ाने के लिए, कृषि ड्रोन और इंटेलेक्चुअल स्केयरक्रो को एकीकृत करने वाली एक अभिनव परियोजना के लिए 51.50 लाख रुपये आवंटित किए गए हैं।

source: https://prharyana.gov.in

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