महाकुंभ में हुई भगदड़ और 30 लोगों की मौत के मामले में Supreme Court में याचिका दायर की गई है। एक वकील द्वारा दायर इस याचिका में कई मांगें उठाई गई हैं और याचिका पर शीघ्र सुनवाई की अपील की गई है।
प्रयागराज महाकुंभ में हुई भगदड़ और हादसे में 30 मौतों के खिलाफ Supreme Court में जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका में हादसे पर स्टेटस रिपोर्ट तैयार करने और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर की गई है।
वकील द्वारा उठाई गई ये मांगें
याचिका में सभी राज्यों से कुंभ मेला क्षेत्र में सुविधा केंद्र स्थापित करने की मांग की गई है, ताकि गैर-हिंदी भाषी श्रद्धालुओं को सहूलियत मिल सके। इसके अलावा, याचिका में यह भी कहा गया है कि ऐसे आयोजनों में VIP मूवमेंट को सीमित किया जाए और अधिक से अधिक स्थान आम लोगों के लिए आरक्षित किया जाए। इसके साथ ही, भगदड़ से बचने और श्रद्धालुओं को सही जानकारी देने के लिए प्रमुख भारतीय भाषाओं में डिस्प्ले बोर्ड लगाने और मोबाइल व व्हाट्सऐप के माध्यम से राज्यों द्वारा तीर्थयात्रियों को जानकारी देने की भी मांग की गई है।
महाकुंभ जैसे बड़े धार्मिक आयोजनों में दूसरे राज्यों से आने वाले गैर-हिंदी भाषी लोगों की सुविधा के लिए सभी राज्यों को मेडिकल हेल्प डेस्क स्थापित करने का प्रस्ताव भी रखा गया है। याचिका में यह अपील की गई है कि इस मामले पर जल्द सुनवाई की जाए और त्वरित निर्णय लिया जाए, ताकि इसे लागू किया जा सके।
प्रयागराज महाकुंभ में 28 जनवरी की रात करीब 2 बजे त्रिवेणी संगम नोज पर भगदड़ मचने से 30 लोगों की मौत हो गई और 60 लोग घायल हो गए। इनमें से कुछ लोग इलाज कराकर घर लौट गए, जबकि 35 लोग अस्पताल में भर्ती हैं। हादसे में मारे गए 25 लोगों की पहचान हो चुकी है, जिनमें 19 उत्तर प्रदेश के, 4 कर्नाटक के, और एक-एक गुजरात व असम से हैं।
हादसे का कारण पांटून पुल का बंद होना बताया गया। पुल बंद होने के बाद लाखों श्रद्धालु संगम नोज पर जुटे थे और वे रात को वहीं सो गए थे ताकि सुबह स्नान कर सकें। लेकिन देर रात बैरिकेड टूटने के बाद श्रद्धालु उन्हें पार करने की कोशिश करने लगे और उस दौरान भगदड़ मच गई, जिससे कई लोग कुचले गए और उनकी मौत हो गई।
पुलिस और प्रशासन की अनुमति मिलने पर दोपहर बाद स्नान किया गया। मौनी अमावस्या के दिन 29 जनवरी, बुधवार को रात 8 बजे तक 7.64 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई। 13 जनवरी से लेकर अब तक महाकुंभ में 27.58 करोड़ से अधिक लोग स्नान कर चुके हैं, लेकिन मौनी अमावस्या पर हुए हादसे ने इस महापर्व, जो आस्था का प्रतीक है।