Bhupendra Hooda vs Kiran Chowdhary: किरण चौधरी का इस्तीफा भूपेंद्र हुड्डा के लिए जीत है? टकराव से कांग्रेस को कितना नुकसान हुआ

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Bhupendra Hooda vs Kiran Chowdhary: किरण चौधरी का इस्तीफा भूपेंद्र हुड्डा के लिए जीत है? टकराव से कांग्रेस को कितना नुकसान हुआ

Bhupendra Hooda vs Kiran Chowdhary: अक्टूबर में हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में इन मां-बेटी का कांग्रेस से जाना एक बड़ा झटका है। यही कारण है कि हुड्डा को इस चुनौती से चुनाव में पार्टी को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए।

Bhupendra Hooda vs Kiran Chowdhary: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पुत्रवधू किरण चौधरी ने अपनी बेटी श्रुति चौधरी, जो कांग्रेस की पूर्व सांसद थी, के साथ कांग्रेस छोड़ दी है। दोनों बुधवार को दिल्ली में भाजपा में शामिल होंगे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और दो बार मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा को किरण चौधरी का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी माना जाता है। दोनों में काफी पुराना टकराव है। दोनों खुले तौर पर जुबानी लड़ाई भी करते रहे।

एसआरके गुट हुड्डा के खिलाफ

हरियाणा में गुटबाजी लंबे समय से चल रही है। प्रदेश कांग्रेस पहले चार गुटों में विभाजित हुई थी: भूपेंद्र सिंह हुड्डा, रणदीप सिंह सुरजेवाला, कुमारी शैलजा और किरण चौधरी। फिर लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में दो अलग-अलग समूह बन गए। हुड्डा गुट का एक सदस्य था, जबकि एसआरके यानी शैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला और किरण चौधरी का दूसरा सदस्य था। ये तीनों ही एक दूसरे के कार्यक्रम में नहीं जाते थे। एक-दूसरे को किसी कार्यक्रम में भी नहीं बुलाते थे। कांग्रेस नेता कुमारी सैलजा, किरण चौधरी और रणदीप सुरजेवाला की प्रेस वार्ता में भूपेंद्र हुड्डा का गुट नहीं दिखाई दिया, इसलिए हुड्डा ने अपने कार्यक्रम को अलग कर लिया। हुड्डा विपक्ष आपके द्वार कार्यक्रम के माध्यम से हर जिले में कार्यक्रमों का आयोजन करते रहे। यह तिकड़ी भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मुकाबला कर रही थी। इंटरव्यू में किरण चौधरी ने कहा कि हम जनता की आवाज उठा रहे हैं न कि किसी से टक्कर ले रहे हैं। रणदीप सुरजेवाला और कुमारी शैलजा अपना वजूद रखते हैं, वहीं मेरा अपना वजूद है। हम तीनों ने फैसला किया कि हर ऐसे मुद्दे पर एक होकर बोलना होगा जिन पर कोई आवाज नहीं उठाई गई है।

टिकट बंटवारे में सिर्फ भूपेंद्र हुड्डा की ही चली

भूपेंद्र सिंह हुड्डा गांधी परिवार के खासमखास रहे हैं। लोकसभा चुनाव में टिकटों के बंटवारे में भी हुड्डा की ही चली। उनके पसंदीदा उम्मीदवारों को टिकटें दी गईं। यही कारण था कि किरण और उनकी बेटी ने कांग्रेस छोड़ दी। किरण चौधरी ने दावा किया कि भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उनकी बेटी और पूर्व सांसद श्रुति चौधरी का टिकट काटकर अपने प्यारे महेंद्रगढ़ के विधायक राव दान सिंह को दिया था। किरण चौधरी ने अपने इस्तीफे में कहा कि हरियाणा में कांग्रेस पार्टी दुर्भाग्य से एक व्यक्ति-केंद्रित हो गई है जिसने अपने स्वार्थ के लिए पार्टी के हितों से समझौता किया है, इसलिए अब मेरे लिए आगे बढ़ने का समय है ताकि मैं अपने लोगों के हितों और उन मूल्यों को बनाए रख सकूं। किरण चौधरी ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को निशाना साधते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति को अपमान सहने की सीमा होती है।

हुड्डा का कद लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन से बढ़ा

भूपेंद्र सिंह हुड्डा एक राजनीतिज्ञ हैं। उन्होंने कई बार अपने राजीतिक दाव-पेचों का लोहा मनवाया है। हाल ही में उन्होंने भाजपा की नायब सरकार को अल्पमत में लाकर तीन निर्दलीय विधायकों को अपने पाले में कर लिया था। कांग्रेस हाईकमान उन पर बहुत विश्वास करता है। हुड्डा ने हरियाणा में लोकसभा चुनाव की अगुवाई की। उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया। कांग्रेस ने पिछले लोकसभा चुनाव में 10 में से एक भी सीट नहीं जीतने के बाद पांच सीटें जीतीं। भूपेंद्र हुड्डा इसका श्रेय लेते हैं। उन्होंने अपने बेटे दीपेंद्र हुड्डा को रोहतक से टिकट दिलवाया, जो रिकॉर्ड वोटों से जीता था। यह हाईकमान की दृष्टि में भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कद बढ़ा। ऐसे में हुड्डा से पार पाना किरण चौधरी के लिए आसान नहीं था इसलिए उन्होंने पार्टी से किनारा करना ही बेहतर समझा।

हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हर किसी को अपना भविष्य निर्धारित करने का अधिकार है।

हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान ने तोशाम से विधायक किरण चौधरी और उनकी बेटी पूर्व सांसद श्रुति चौधरी के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने की घोषणा की है। उदयभान ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपना भविष्य चुनने का अधिकार है। वह स्वतंत्र निर्णय ले सकती है। उनका कहना था कि बेटी का टिकट कट गया था, इसलिए वह अपनी भावनाओं को व्यक्त कर रही है। किसी भी नेता का कांग्रेस नेतृत्व के फैसले टिप्पणी करना उचित नहीं है। उन्हें हाईकमान से शिकायत करनी चाहिए, न कि मीडिया में जाकर बहस करनी चाहिए।

 

 

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