दिल्ली की इस सीट पर AAP और BJP के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। जिस पार्टी का उम्मीदवार यहां से चुना गया, उसी पार्टी की सरकार आई।

पटपड़गंज दिल्ली की प्रमुख सीटों में से एक है। इस बार आम आदमी पार्टी ने अपने चर्चित चेहरे पर भरोसा जताया है, जबकि भाजपा ने भी अपने पूर्व उम्मीदवार को यहां से टिकट दिया है। आइए, इस सीट के बारे में विस्तार से जानते हैं।

पटपड़गंज विधानसभा सीट इस बार काफी चर्चा में है। पिछले तीन चुनावों में आम आदमी पार्टी (AAP) ने यहां जीत दर्ज की थी, जहां 2013, 2015 और 2020 में मनीष सिसोदिया विजयी रहे। हालांकि, इस बार पार्टी ने सिसोदिया को जंगपुरा सीट से चुनाव लड़ाने का फैसला किया है। पटपड़गंज से AAP ने सोशल मीडिया पर लोकप्रिय और UPSC टीचर के रूप में पहचान रखने वाले अवध ओझा को उम्मीदवार बनाया है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 2020 में पराजित हुए रविंदर नेगी को एक बार फिर टिकट दिया है। कांग्रेस ने इस सीट से पूर्व विधायक अनिल चौधरी को मैदान में उतारा है।

पटपड़गंज में इस बार कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। क्षेत्र में नशा, पानी की कमी, जर्जर सड़कें, गंदगी, सीवरेज का ओवरफ्लो और ट्रैफिक जाम जैसे प्रमुख मुद्दे हैं। यह सीट पूर्वी दिल्ली संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है और इसमें शशि गार्डन, पटपड़गंज गांव, मयूर विहार फेज-1, आईपी एक्सटेंशन, मयूर विहार एक्सटेंशन, चिल्ला, कोटला और खिचड़ीपुर जैसे इलाके शामिल हैं। अधिकतर मतदाता मध्यम वर्गीय परिवारों से आते हैं। यहां पूर्वांचली वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है, जबकि दूसरे स्थान पर उत्तराखंड मूल के मतदाता हैं।

पिछली बार यहां कड़ा मुकाबला देखने को मिला था। 2020 के विधानसभा चुनाव में AAP पार्टी के उम्मीदवार मनीष सिसोदिया ने बहुत कम अंतर से जीत हासिल की थी। सिसोदिया को 70,163 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी के रविंदर नेगी को 66,956 वोट मिले थे। कांग्रेस ने इस सीट से लक्ष्मण रावत को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन उन्हें सिर्फ 2,802 वोट मिले थे। 2015 में भी सिसोदिया ने जीत हासिल की थी, उन्हें 75,477 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी के विनोद कुमार बिन्नी को 46,716 वोट मिले थे। कांग्रेस के अनिल कुमार को 16,260 वोट मिले थे। भाजपा उम्मीदवार रविंदर नेगी वर्तमान में पार्षद हैं।

इस सीट पर कुल 2,26,310 मतदाता हैं, जिनमें से 1,22,194 पुरुष और 1,04,100 महिला मतदाता हैं। AAP पार्टी के उम्मीदवार अवध ओझा को पूर्वांचली वोटरों से उम्मीद है, जबकि बीजेपी के नेगी को उत्तराखंड के मतदाताओं से समर्थन मिल सकता है। इस सीट पर बीजेपी, कांग्रेस और AAP पार्टी तीनों पार्टियों के विधायक बन चुके हैं। 1993 में पहले चुनाव में बीजेपी के ज्ञानचंद ने जीत दर्ज की थी, जबकि 1998 और 2003 में कांग्रेस के अमरीश सिंह ने जीत हासिल की थी। 2008 में कांग्रेस ने अनिल कुमार को टिकट दिया था, लेकिन उन्हें बीजेपी के नकुल भारद्वाज से कड़ी चुनौती मिली, और अनिल सिर्फ 683 वोटों से जीत पाए थे।

 

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