Mahakumbh में हुई भगदड़ और हादसे में 30 लोगों की मौत यूपी पुलिस और प्रशासन की नाकामी के कारण हुई, लेकिन यह खराब व्यवस्था किस प्रकार हादसे का कारण बनी? आइए, इस पर विस्तार से चर्चा करते हैं…
मौनी अमावस्या पर 29 जनवरी को प्रयागराज Mahakumbh के त्रिवेणी संगम पर हुई भगदड़ में 30 लोग मारे गए और लगभग 60 लोग घायल हुए। हादसे के बाद घटनास्थल पर भयावह दृश्य थे। इस हादसे के लिए Mahakumbh की तैयारियों और सुरक्षा व्यवस्था के लिए जिम्मेदार 5 अधिकारियों – DIG वैभव कृष्ण, ADG भानु भास्कर, SSP राजेश द्विवेदी, मेला अधिकारी विजय किरण आनंद और मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत को दोषी ठहराया गया।
कई नेताओं और साधु संतों ने भी इस हादसे के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस और प्रशासन की तैयारियों को जिम्मेदार ठहराया। योगी सरकार की व्यवस्था फेल हो गई, जिसके कारण आस्था के इस बड़े आयोजन में भगदड़ मच गई। प्रयागराज की धरती, मां गंगा के किनारे खून से सनी रही, लेकिन आखिरकार व्यवस्था में कहां चूक हुई? पुलिस और प्रशासन की तैयारी कैसे विफल रही?
Mahakumbh में भगदड़ का एक प्रमुख कारण त्रिवेणी संगम नोज पर लाखों श्रद्धालुओं का एकत्र होना था। महाकुंभ में 84 होल्डिंग एरिया बनाए गए थे, ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके और लोगों को वहीं रोका जा सके। लेकिन पुलिस अधिकारियों और जवानों ने इन होल्डिंग एरिया से आगे लोगों को जाने दिया, जो संगम पर जमा हो गए। काली मार्ग पार्किंग और अन्य स्थानों पर भी श्रद्धालु एकत्रित हो गए थे। सुबह 8 बजे से लोग संगम पर पहुंचने लगे और इसी बढ़ती भीड़ ने हादसे को जन्म दिया।
Mahakumbh में स्नान के लिए घाटों तक जाने और लौटने के लिए वन-वे रूट का योजना बनाई गई थी। इसके तहत, श्रद्धालुओं को काली रोड से त्रिवेणी बांध पार करके संगम अपर मार्ग से संगम नोज जाना था, और स्नान के बाद अक्षयवट रोड से त्रिवेणी बांध होते हुए त्रिवेणी मार्ग से बाहर निकलना था। लेकिन यह योजना असफल हो गई, क्योंकि श्रद्धालुओं ने नियमों का पालन नहीं किया। वे अक्षयवट मार्ग की बजाय संगम मार्ग से ही लौटने लगे, जिससे व्यवस्था में खलल पड़ा।