संजय सेठ? यूपी में इनके नाम की चर्चा अचानक बढ़ी; विधानसभा के लिए नामांकन कर सकते हैं

संजय सेठ? यूपी में इनके नाम की चर्चा अचानक बढ़ी; विधानसभा के लिए नामांकन कर सकते हैं

Rajya Sabha Election 2024: संजय सेठ को लेकर चर्चा तेज हो गई है क्योंकि वे 2019 में बीजेपी में शामिल होने से पहले सपा में थे।

Who is Sanjay Seth? यूपी की राजनीति में राजसभा चुनाव-2024 को लेकर अचानक हलचल आई है। बीजेपी के सात प्रत् याशियों ने बुधवार को नामांकन कर दिया था, जो संख्या में सबसे अधिक थे। अब पता चला है कि संजय सेठ को गुरुवार को ही आठवें उम्मीदवार के तौर पर नामांकन करना होगा। बीजेपी को आठवां उम् मीदवार जिताने के लिए कम से कम चौबीस अतिरिक् त वोटों की जरूरत होगी। तीन सीटों के लिए लड़ रही समाजवादी पार्टी के सामने संजय सेठ की उम्मीदवारी की खबर ने कठिनाई पैदा की है। संजय सेठ चर्चा का विषय बन गया है। बीजेपी ने संजय सेठ को बहुत सोच-समझकर चुना है।

10 अगस्त 2019 को भाजपा में शामिल होने के बाद सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए संजय सेठ को बीजेपी ने राज्यसभा में भेजा गया था। वह फिलहाल भाजपा से राज्यसभा सांसद हैं। भाजपा में शामिल होने से पहले संजय सेठ की सपा में भी गहरी पैठ है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी ने संजय सेठ को आठवें उम्मीदवार के रूप में उतारने का फैसला बहुत सोच-समझकर लिया होगा। सपा ने राज्यसभा चुनाव में तीन उम्मीदवार उतारे हैं: यूपी के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन, चार बार की राज्यसभा सदस्य जया बच्चन और दलित नेता और पूर्व सांसद रामजी लाल सुमन।अब सपा को सरल रास्ता मिल सकता था अगर बीजेपी आठवां उम्मीदवार नहीं उतारती. हालांकि, आठवां उम्मीदवार उतारकर बीजेपी ने अपने लिए चौबीस अतिरिक् त वोटों की कमी पैदा कर दी है। बीजेपी ने 252 विधायकों को चुना है। घटक दल मिलाकर 27 1 विधायक हैं। बीजेपी को राजा भैया की पार्टी के दो विधाायकों और रालोद के नौ विधाायकों को जोड़ने के बाद भी आठ उम्मीदवार जिताने के लिए चौबीस अतिरिक् त वोटों की जरूरत पड़ेगी।

भारतीय जनता पार्टी (सपा) को यूपी की राजनीति और कारोबारी दुनिया में प्रमुख पदों पर आसीन संजय सेठ की उम्मीदवारी ने एक नई चुनौती दी है। यह भी कहा जा रहा है कि संजय सेठ की सपा में अच्छी पैठ है। इसलिए वह एक मजबूत प्रत् याशी होगा। राज् यसभा चुनाव में सपा 108 वोटों और कांग्रेस के 2 सदस् यों के साथ तीन उम् मीदवार उतार चुकी थी, इसलिए वह तीसरे उम् मीदवार को जीतने के लिए एक वोट की जंग में थी। अब उसके सामने एक अतिरिक्त वोट की आवश्यकता पूरी करने की चुनौती है, साथ ही पार्टी में चल रहे विवाद के बीच अपने वोटों को सुरक्षित रखने की भी चुनौती है।

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