Punjab Police workshop organized- चंडीगढ़I पंजाब पुलिस के साईबर क्राइम डिविज़न ने मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की इच्छा के अनुसार, एक दिवसीय वर्कशाप में मेटा (फेसबुक) और मिसइनफॉर्मेशन कॉम्बैट अलायंस के नुमायंदों के सहयोग से ऑनलाइन फैलने वाली गलत सूचनाओं की पहचान करने और इसके निर्माण और जनता में इसके प्रसार को रोकने के उपायों को जागरूक किया गया। यह वर्कशाप डीजीपी पंजाब गौरव यादव के दिशा-निर्देशों पर किया गया था।
एक डिप फेक चित्र या ऑडियो-वीडियो में एक असली व्यक्ति को डिजिटल रूप में बदलकर किसी अन्य के साथ हू-ब-बू मिला दिया जाता है, जिससे यह देखने में बिल्कुल असली लगता है।
मेटा और मिसइनफॉर्मेशन कॉम्बैट अलायंस (एमसीए) टीम ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर गलत जानकारी की पहचान, हटाने और इससे निपटने के विभिन्न उपायों पर चर्चा की। इस कार्यक्रम में सभी जिलों में विभिन्न पदों पर पदस्थ 150 से अधिक पुलिस कर्मचारियों ने भाग लिया।
इस प्रशिक्षण का लक्ष्य पंजाब पुलिस की क्षमता को डीप फेक से निपटने के लिए सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध साधनों और प्रक्रियाओं का प्रयोग करना था।
Workshop में बोलते हुए एडीजीपी साईबर क्राइम वी. नीरजा ने कहा कि नागरिकों के लिए गलत जानकारी और डीप फेक का मुद्दा चिंता का विषय है, खासकर प्रमुख लोगों, मशहूर हस्तियों और लोकप्रिय लोगों। उन्होंने कहा कि पंजाब पुलिस मुख्य भाईवालों के साथ काम करना जारी रखेगी और साईबर स्पेस को प्रयोक्ताओं के लिए सुरक्षित क्षेत्र बनाएगी। उन्होंने कहा कि पंजाब पुलिस डीप फेक के खतरों को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उनका कहना था कि यह प्रशिक्षण पंजाब पुलिस को नागरिकों को सही जानकारी देने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करने में भी सक्षम बनाएगा। उन्होंने कहा कि पंजाब के अधिकारी ऐसी गलत और झूठी जानकारी से निपटने और सही जानकारी को समय पर फैलाने के लिए नवीन तकनीकें अपना रहे हैं।
पंजाब पुलिस के डीआईजी साईबर क्राइम नीलांबरी वी जगदले ने कहा कि पंजाब पुलिस ने रैपिड इन्फर्मेशन कम्यूनिकेशन नैटवर्क, या आरआईसीऐन, बनाया है ताकि लोगों को साईबर धोखेबाज़ों के काम करने की विधियों के बारे में जागरूक किया जा सके. नेट पर गलत जानकारी और डीप फेक के फैलने को रोका जा सके।स्टेट साइबर क्राइम सेल, एस. ए. एस. नगर, पंजाब ने लोगों को सुरक्षित साइबर सुरक्षा, सुरक्षित साइबर नियमों और विभिन्न साइबर अपराधों से बचाने के लिए विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर ऐसे अकाउँट भी बनाए हैं।