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मोदी सरकार: चुनाव जीतकर मंत्री बन गए, फिर भी कैबिनेट से बाहर; नरेंद्र मोदी के आश्चर्यजनक निर्णय

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मोदी सरकार: चुनाव जीतकर मंत्री बन गए, फिर भी कैबिनेट से बाहर; नरेंद्र मोदी के आश्चर्यजनक निर्णय

मोदी सरकार: 3.0 में भी आश्चर्यजनक निर्णय किए गए हैं। मोदी मंत्रिमंडल में कई नाम नहीं हैं जो चुनाव जीते हैं। वहीं, कई नेताओं को पराजय के बाद भी मंत्री बनाए गए हैं।

एनडीए ने लोकसभा चुनाव में बहुमत हासिल करने के बाद रविवार को नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। तीस कैबिनेट मंत्रियों ने भी शपथ ली है। उनके अलावा, मोदी सरकार 3.0 में 36 राज्य मंत्री और पांच स्वतंत्र प्रभार मंत्री हैं। हमेशा की तरह, प्रधानमंत्री मोदी ने इस बार भी सबको चौंका दिया है। दरअसल, एक ऐसे नेता को भी पीएम मोदी के मंत्रिमंडल में जगह मिली है जो अपनी सीट से चुनाव हार गया है। साथ ही, मोदी सरकार 2.0 में मंत्री रहे अनुराग ठाकुर को भी बाहर रखा गया है, जिन्होंने हमीरपुर में बड़ी जीत हासिल की थी।

मोदी सरकार: 3.0 में आश्चर्यजनक क्या था?

अनुराग ठाकुर मोदी सरकार 2.0 में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति था। उनके पास खेल मंत्रालय और सूचना प्रसारण मंत्रालय था। 2019 में उन्हें राज्य मंत्री पद की शपथ दी गई। वहीं 2021 में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। उन्हें सूचना प्रसारण मंत्रालय कि जिम्मेदारी दे दी गई है। बीजेपी सूत्रों ने कहा कि अनुराग ठाकुर ने जेपी नड्डा को कैबिनेट में लाने के लिए बहार रखा गया है। हिमाचल प्रदेश के मंत्री भी जेप नड्डा हैं। ऐसे में हिमाचल प्रदेश से दो कैबिनेट मंत्रियों का नियुक्ति करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था।

मोदी को चुनाव जीतने पर मंत्रिमंडल में स्थान

मोदी सरकार: इस बार भी पंजाब की लुधियाना सीट से दो बार सांसद रह चुके रवनीत बिट्टू ने मंत्रिपद की शपथ ली है। वह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गया था, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले। उन्हें लुधियाना की सीट पर अमरिंदर राजा वडिंग से हार मिली। अब उन्हें छह महीने के अंदर लोकसभा या राज्यसभा में जाना होगा। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते हैं बिट्टू। 1999 में बेअंत सिंह को खालिस्तानी हमला हुआ था।

मंत्री जॉर्ज कुरियन ने भी शपथ ली है। वह बीजेपी के केरल के महासचिव हैं। वहाँ कोई सदन नहीं है। पेशे से वकील रहे कुरियन लगभग तीन दशक से बीजेपी में शामिल हैं। वह कई बार पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ में रह चुका है। इससे प्रकट होता है कि बीजेपी अब दक्षिण में ईसाइयों में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है।

मंत्रिमंडल में रविशंकर प्रसाद को स्थान नहीं मिला

इस बार भी, लगभग दो दशक से सांसद और बीजेपी के प्रमुख नेता रविशंकर प्रसाद को मंत्री पद की शपथ नहीं दी गई है। उन्होंने इस बार भी बिहार की पटना साहिब सीट जीत ली है। इसके अतिरिक्त, पांच बार सांसद रहे राजीव प्रताप रूड़ी को भी मंत्री पद नहीं मिला है। वह तीसरी बार सारन सीट से विजयी हुए हैं। बिहार से मोदी मंत्रिमंडल में आठ मंत्री शामिल हुए हैं। लेकिन अटल सरकार से नरेंद्र मोदी सरकार तक के दो नामों को स्थान नहीं दिया गया।

मोदी सराकर 2.0 के एकमात्र मंत्री, एल मुरुगन, चुनाव हारने के बाद भी मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हो गए हैं। चुनाव हारने के बाद राजीव चंद्रशेखर और स्मृति ईरान को मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया गया। तमिलनाडु की बीजेपी की पूर्व अध्यक्ष अन्नामलाई चुनाव हारने के बाद भी केंद्र सरकार में हैं। बीजेपी के वरिष्ठ नेता पुरषोत्तम रूपाला नरेंद्र मोदी दोनों कार्यकाल में मंत्री रहे, लेकिन इस बार उन्हें पद नहीं मिला। उन्हें भी राजकोट, गुजरात से बड़ी जीत मिली है।

मोदी सरकार में मंत्री रहे नारायण राणे ने भी चुनाव जीता, लेकिन अब वह मंत्री नहीं हैं। 2019 में नारायण राणे ने बीजेपी में शामिल हो गया था। वह मोदी 2.0 सरकार में मंत्री थे। रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग सीट से इस बार राणे जीता है।

 

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